Thursday, January 13, 2022

माँ

कश्ति भारी वादियों में 
याद लिए चल दिये 
कहा ये थामेंगे क्या पता 
रोते हुए चल दिये 
राह राह में चलते चलते 
देखा एक ख्वाब 
कि, माँ होती तो कितना होता 
प्यार 
सुनहरे रात के उजाले में 
माँ के कोमल बाहों में  
हमने संजोए ख़ाब सुनहरे की 
माँ होती तो कितना होता प्यार 
ना जाने वो क्यों दूर है बैठी 
ना जाने वो क्या है रूठी 
अब कभीं पास बुलाती नहीं 
कि माँ होती तो कितना होता प्यार

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