याद लिए चल दिये
कहा ये थामेंगे क्या पता
रोते हुए चल दिये
राह राह में चलते चलते
देखा एक ख्वाब
कि, माँ होती तो कितना होता
प्यार
सुनहरे रात के उजाले में
माँ के कोमल बाहों में
हमने संजोए ख़ाब सुनहरे की
माँ होती तो कितना होता प्यार
ना जाने वो क्यों दूर है बैठी
ना जाने वो क्या है रूठी
अब कभीं पास बुलाती नहीं
कि माँ होती तो कितना होता प्यार
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