Thursday, July 27, 2023

चुप्पी

अब मुझे अकेला रहना
अच्छा लगने लगा है।

न किसी से कोई शिकायत,
न किसी का झूठा दिलासा,
और न ही किसी के वादे।

मैं अब बस गुम हो गया हूँ
अपने बनाए हुए रास्तों में।
ख़ैर, ये रास्ते मुझे कहाँ ले जाएँगे,
मुझे खुद भी नहीं पता।

मगर मेरे अंदर एक उम्मीद है—
मेरे बनाए हुए रास्ते
मुझे कहीं न कहीं जरूर ले जाएँगे।

सौरभ सहाई


No comments:

Post a Comment

“मौन उदासी का चाँद” The Moon of Silent Sorrow

Hindi  सब तरफ अँधेरा हो जाए और सब कुछ उदासी से भरा हो, चाँद हो मगर उदासी से भरा हुआ, नींद हो मगर किसी उदासी से भारी, और दिल... वो भी चुपचाप ...