वो कहीं खोई हुई मिली, मानो वो मेरा ही इंतजार कर रही थी और जब वह मुझको देखी तो
गुस्से में आकर मुझे रूखी रूखी नज़र
आने लगी कभी उधर मूक करती तो कभी इधर
मालूम वो कुछ सवालों का ढेर लिए बैठी थी
कि इतने दिन कहा थे मेरी याद नहीं आयी तुमको
तभी रुकते रुकते बोल ही दी उसके आखों में नमी मानो वो मुझको कोसती हो कि क्यु तुम आए नहीं मिलने........
उसको देख कर मानो मुझको ऐसा लगता वो कितनी खूबसूरत है जब वो गुस्से में दिखती
आपको यकीन नहीं होगा भरोसा करो वो
बहुत खूबसूरत है
आज मै सोचा उससे मिलके अपने दिल के किस्से एक काग़ज़ में लिख कर उसको दे दु
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