Alone,
like a ancient painting on wall of unnoticed mountain ,
Sad,
Like narration with full of gloom
Helpless
Like "Salmon"(fish) stuck in fisherman net
This is what one side of world creating in own deep mind
Maybe thoughts or real
Don't know even the creator have no idea
Why?? Happening like this
But after all ,
situation or environment
Creating mind game
And forcing the mind to build Fearfull story
Which has no any sense or just real
What you think
Life is really above all or any other path
Welcome to Saurabh Sahai blogs Hi, I’m Saurabh Sahai, a passionate learner and aspiring Indian Foreign Service (IFS) officer. Currently preparing for the UPSC Civil Services Examination, I’m on an exciting journey of exploration and growth. I created this blog to share my thoughts, insights, and experiences as I navigate through the challenges of UPSC preparation and life in general.
Tuesday, July 27, 2021
Thursday, July 15, 2021
HOPE & HAPPINESS
BOBO, THE BOY
11 YEARS OLD,
WAITING FOR HOPE
RAIN WILL
FALL TONIGHT
WHY?? , BECAUSE
FATHER IS SMALL
FORMER
THATSWHY
AGRICULTURE FIELD
NEED
WATER
BOBO
ALREADY KNOWS
NO MONEY, NO WATER
SO HIS HOPE ONLY ONE
RAIN
BOBO LOOKING TOWARDS SKY
SUDDENLY FALL SLEEP
AT THE MIDDLE OF NIGHT
DARK CLOUDS COVER
WITH LIGHTING IN THE SKY
WIND BLOWING SLOWLY
CREATING BOBO'S HOPE
SUDDENLY RAIN FALL
FATHER SMILE WITH
PLEASANT
HOPE COME TRUE
JUST NEAR GIVE
YOUR HOPE
BOBO RELIZE
IN MORNING
11 YEARS OLD,
WAITING FOR HOPE
RAIN WILL
FALL TONIGHT
WHY?? , BECAUSE
FATHER IS SMALL
FORMER
THATSWHY
AGRICULTURE FIELD
NEED
WATER
BOBO
ALREADY KNOWS
NO MONEY, NO WATER
SO HIS HOPE ONLY ONE
RAIN
BOBO LOOKING TOWARDS SKY
SUDDENLY FALL SLEEP
AT THE MIDDLE OF NIGHT
DARK CLOUDS COVER
WITH LIGHTING IN THE SKY
WIND BLOWING SLOWLY
CREATING BOBO'S HOPE
SUDDENLY RAIN FALL
FATHER SMILE WITH
PLEASANT
HOPE COME TRUE
JUST NEAR GIVE
YOUR HOPE
BOBO RELIZE
IN MORNING
Monday, July 12, 2021
open sky with hope
Tonight open sky with stars
Alone Create story of peace
and calm
No people around ,
poet sitting on ground
like empty thoughts
But hope of morning ,
Not morning of sunlight
People walking ,sound &
Traffic
His morning is love , calm ,peace
Prosperity
Suddenly poet thought
Walking is good to reach to
the destination of hope
and
while walking give up is
Really no sense
continue walking make you reach your peace & calm ultimately "love"
Saturday, June 26, 2021
फ़ूलों की तारीफ़💬
ना कोई बंधन ना कोई दीवार ये
फूल हैं जो दिल के पास है
जो बार बार खिलता है
और खूबसूरत सुबह कि तारीफ़ संजोता हैं
जो किसी रोशनी की तलाश तो ज़रूर कारत
मगर वो कोई और नहीं उसका वही प्यार है
और जो हर दम उसके ख्वाबों में आता
जाने क्यु कवि को ख्याल आया कि कहीं वो
तलाश सूरज तो नहीं
जो उसको हरदम नया जीवनदान देता है
Tuesday, June 22, 2021
बड़े दिनों की तरह
आज (अदिति) से काफी दिनो बाद मिला
वो कहीं खोई हुई मिली, मानो वो मेरा ही इंतजार कर रही थी और जब वह मुझको देखी तो
गुस्से में आकर मुझे रूखी रूखी नज़र
आने लगी कभी उधर मूक करती तो कभी इधर
मालूम वो कुछ सवालों का ढेर लिए बैठी थी
कि इतने दिन कहा थे मेरी याद नहीं आयी तुमको
तभी रुकते रुकते बोल ही दी उसके आखों में नमी मानो वो मुझको कोसती हो कि क्यु तुम आए नहीं मिलने........
उसको देख कर मानो मुझको ऐसा लगता वो कितनी खूबसूरत है जब वो गुस्से में दिखती
आपको यकीन नहीं होगा भरोसा करो वो
बहुत खूबसूरत है
आज मै सोचा उससे मिलके अपने दिल के किस्से एक काग़ज़ में लिख कर उसको दे दु
Monday, June 21, 2021
इश्क का पाठ
क्या पता था,
की आज तुमसे इतना इश्क़ हो जाने वाला है की
कलम उठते ही तेरे इश्क़ कि तारीफ़ लिख डालूँ । तेरी नजरो कि दीदार तो हर रोज़ करने का दिल करे मगर
इस दीदार को रोज देखने से डरता हू कहीं ये इश्क ना काम पड़ जाये
Saurabh Sahai
Critical Thinking..
You done well, what you done by your own mind
But you don’t (done) well what you think or Done by other stereotypes mind…
किसी और से मगर अब अकेले खड़ा हूँ
वो कलम से लिखतीं मगर भूल जती है
एक पल के लिये वो कोई और नही अकेले दबोची हुई नामुमकिं है
जिसका आज और कल किसी और ने सजोया है
जिसके बनाये गये लकीरों में जीवन का लक्ष्य तलास रही है
वोही सपनें जिसको जीना उसको नही उसके अंगों से निकले तनो को है।
लेकिन वो तने आज बड़े हो रहे है , ये भी समझ रहे है
धरती की ताकत को, हवाओं के झटकों को
मा के सहारे तो वो टिके है
जो उसको सहारा दिया वो भी
पानी खाद देना चाहता नही
अब ,
उसको अकेले ही धरती के
अच्छे-बुरे रुप का सामना करना है
वो आज मुर्झाई हुई लग रही
है लगता है उसके हिस्से पे कोई और वृक्ष का रोपण हुआ है
वो भी फलदार वृक्ष का
मुझे डर है की कही इसको
उखाड़ फेंकने की साजीस तो
नही चल रही
जिस वृक्ष का रोपण इतने नजाकत के साथ हुआ उसको कोई कैसे काट सकता है
मै भी नही यकिन कर सकता
कुछ दिन बाद येही हुआ जिसका यकिन ना था
पानी देना बंद था ही अब
उसको उखाड़ फेका गया
मगत भाग्य को कौन रोक सकता है ,
उसको दुबार उगने के लिये जरिया मिल गया जहा फेका गया वहा जल और प्रकाश की कमी ना है
फिर से उदित होने लगी
अब किसी का डर नही है उसको ,
उसके तने भी मजबुत हो चुके हैं वो डट कर मुकाबला करेगे धरती की बुरी ताकत का
देखो तुम आये
तुम कुछ हो नहीं ये जान लो
तुम समझना भी नहीं की तुम हो
ये काया हैं तुम्हारा
जो तुमको आक्रोशित
कर रहा ,
आज या काल या अब और अभी या कभी भी,
ये काया तुमको एक दम खाली कर देगा
तुम जो हो ये जनों
हक़ीक़त से आज तुम मुहब्बत करो ।
क्यों कि कोई नहीं जान सकता काल की बात
खाली विचार
सब खाली-खाली सा है
आँखों के सामने
सब कुछ काली रात की
तरह सूनसान।
बगल में कुछ यादों को दबाए हुए,
ना जाने उनमें दुःखों का भार अधिक है
या सुखों का।
काश कोई इसका मोल कर पाता।
आज अकेले वो,
किस प्रकार काली रात को
जगाने की कोशिश कर रहा है।
उसे पता है
वह अकेला है,
मगर किसी की तलाश या पुकारना
अब भी नहीं छोड़ा।
मगर उसे इसकी क्या जरूरत?
अगर किसी के आने से उजाला
उत्पन्न हो जाता,
तो आज इतना अंधेरा ही क्यों होता?
जो वो उस अंधेरे से
खेल रहा है।
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“मौन उदासी का चाँद” The Moon of Silent Sorrow
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